Bhadalya Navami 2024 Date and Time, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Importance and Significance in Hindi: हिंदू धर्म में भड़ल्या नवमी का काफी महत्व माना गया है और इसे एक बेहतर इसे बेहद ही पवित्र दिन के रूप में जाना जाता है. वही इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह 15 जुलाई 2024 दिन सोमवार को मनाई जा रही है. इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अंतिम दिन माना जाता है, इस दिन सभी शुभ कार्य किए जाते हैं, अज के दिन कई लोगो द्वारा शादी भी जाती है, शादी के लिए यह सुबह मुहूर्त हैं.
भड़ल्या नवमी (What is Bhadalya Navami 2024 in Hindi)
Bhadalya Navami Kya Hai: पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की नवमी तिथि पर भड़ल्या नवमी को मनाया जाता है. यह दिन अक्षय तृतीया की तरह ही महत्व माना गया है और इस दिन कई तरह की शुभ कार्य किए जाते हैं और इस दिन किए गए कार्य काफी उत्तम भी होते हैं. यह एक स्वयं सिद्ध तिथि भी है. भक्त इस दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी के साथी मंडली नवमी का व्रत रखते हैं और पूजा अर्चना करते है।
भड़ल्या नवमी का समय / Bhadalya Navami 2024 Date and Time in India Calendar
भड़ल्या नवमी इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 14 जुलाई की शाम 5 बजकर 26 मिनट पर हुआ है और समापन 15 जुलाई शाम 7 बजकर 19 मिनट पर होगा.
ऐसे में सभी भक्त 15 जुलाई के दिन ही भड़ली नवमी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन काफी बेहतर शुभ योग भी बन रहे हैं.
भड़ल्या नवमी का महत्व / Bhadalya Navami 2024 Significance and Importance
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु सो रहे थे और इस दौरान विवाह कार्य संपन्न नहीं किया जा सकते थे, ऐसे में भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त किए बिना विवाह को पूर्ण नहीं माना जा सकता था. इसीलिए ल्या नवमी के दिन को विवाह कार्यों के लिए सुबह माना गया है, इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करके शुभ कार्य संपन्न किए जाते हैं और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का भी काफी महत्व है.
भड़ल्या नवमी के दिन इस तरह करे पूजा अर्चना / Bhadalya Navami Puja Vidhi and Mantra
भड़ल्या नवमी को पूजा अर्चना करने का काफी विशेष महत्व देखा गया है, इस दिन आप इतना ध्यान करके गंगाजल डालकर अपनी शुद्ध कर ले उसके बाद मंदिर और घर के अच्छी तरह से सफाई करें और घर के मंदिर में दीप जलाएं.
इसके साथ एक वैदेही पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और गंगाजल से अभिषेक करें और माँ दुर्गा को अक्षत सिंदूर और लाल पुष्प अर्जित करें. ऋतु फल और हलवा पूरी चढ़कर उन्हें भोग लगाये और अंत में दुर्गा सप्तशती के अध्याय का पाठ और दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें, इसके साथ ही विष्णु जी की पूजा अर्चना और उनका भी ध्यान क.रें