कब की जायेगी चौरचन पूजा, जानिये किस दिन मनाया जाएगा यह त्यौहार, जाने इसका मुहूर्त और पूजा विधि

Chaurchan 2024 Vrat Date Time, Puja Vidhi, Shubh Muhurt, Mantra, Katha, Benefits, Advantages, Mahatva, Importance and Significance in Hindi: चौरचन पूजा हर साल भद्र प्रदेश शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है जो कि, अधिकतर हरतालिका तीज के दिन या फिर उसके अगले दिन आता है. कई जगह पर चौरचन पूजा को चौथ चंद्र के नाम से भी जाना जाता है और यह मुख्य रूप से झारखंड उत्तर प्रदेश और बिहार के राज्यों में मनाया जाता है.

चौरचन व्रत (Chaurchan 2024 Vrat Date)

इस दिन भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है, बताया जाता है कि, जब चंद्रमा को कलंक लगा था, इसलिए इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कलंक से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए भी इस व्रत को रखती है. आइये जानते हैं इस व्रत को करने का शुभ मुहूर्त और इसकी पूजन विधि.

इस दिन मनाया जायेगा यह त्यौहार / Tithi and Samya 

सुहागिन महिलाएं अखंड सुहाग को लेकर भाद्रपद शुक्ल तृतीया 6 सितंबर को हस्त नक्षत्र चित्रा नक्षत्र के सहयोग में तीज का पर्व मनाएगी. इस दिन सुहागी निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव वर्मा पार्वती की पूजा अर्चना भी करते हुए देखे जाते हैं.

Chaurchan Puja 2024 Date and Time, Shubh Mahurat

इस साल चौरचन पूजा 06 सितंबर दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी, यहा भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 06 सितम्बर 2024 की दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी और इसकी समाप्ति 07 सितम्बर 2024 की शाम 05 बजकर 37 मिनट पर होने वाली है।

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Chaurchan 2024 Vrat Date and Time in Hindi

चौरचन व्रत की पूजा विधि / Chaurchan Vrat Pooja Archana Vidhi and Samagri 

चौरचन पूजा करने के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें, उसके बाद  शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपें या उसकी अच्छे से सफाई करें, उसके बाद इसके बाद कच्चे चावल को पीसकर घर के आंगन में रंगोली बनाएं, यहा पर आपको केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बनाएं,  इसके बाद भगवान को तरह-तरह के मीठे पकवान बनाकर चढ़ाएं, उसके बाद आपको चंद्रमा की पूजा करनी है।

बांस के बर्तन में बनाये खीर / Chaurchan Mahatav

आपको बता दे की इस दिन की पूजा में दही का इस्तेमाल जरूर किया जाता है, इसके अलावा इस दिन बांस के बर्तन में विशेष तरह की खीर तैयार की जाती है। इस खीर का चंद्रदेव को भोग लगाया जाता है और उसके बाद इनकी आरधना की जाती है।

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