Ganesh Chaturthi 2024 Date Time, Puja Vidhi, Mantra, Katha, Shubh Mahurat, Benefits, Advantages, Importance and Significance in Hindi: हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का काफी विशेष माना गया है, वही वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का दिन मनाया जाता है, और उसे दिन गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है.
गणेश चतुर्थी व्रत (Ganesh Chaturthi 2024 Date)
शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और इसको आज देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन खासकर लोग घर में गणेश जी की स्थापना करते हैं और पूरे विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हुए देखे जा सकते हैं, यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है.
इस दिन मनाई जायेगी गणेश चतुर्थी / Ganesh Chaturthi 2024 Tithi and Samya
इस बार गणेश चतुर्थी का व्रत 7 सितंबर को मनाया जाने वाला है, वैदिक पंचांग के भाद्रपद मां की चतुर्थ तिथि की शुरुआत 6 सितंबर 2020 को दोपहर 3:02 पर हो रही है, वही इस दिन का अंत 7 सितंबर को शाम 5:38 पर होने वाला है, ऐसे में उदय तिथि को आधार मानते हुए गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी और इसी दिन गणेश जी की स्थापना की जाएगी.
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2024 Shubh Muhurat)
गणेश चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त इस साल इस दिन गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा, इस बिच आप अपने घरो में इनकी स्थापना कर सकते है। इस शुभ मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना करना शुभ माना जाता है।
गणेश उत्सव का समापन / Ganesh Chaturthi Mahatav and Pooja Archana Vidhi
गणेश उत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी के दिन से होती है और यह 10 दिन तक चलती है, वहीं इस उत्सव का समापन अनंत चतुर्थी के दिन होता है, इस साल गणेश उत्सव 7 सितंबर 2024 से शुरू होगा और 17 सितंबर 2024 को मंगलवार के दिन इस उत्सव का समापन होगा, इस दिन गणेश विसर्जन के साथ इस पर्व की समाप्ति होती है।
इस तरह करे गणेश चतुर्थी पर पूजा / Ganesh Chaturthi Puja Vidhi and Samagri
गणेश चतुर्थी के दिन पुँज करने के लिए सुबह स्नान के बाद व्रत का सकंल्प लें और उसके बाद अपने घर में साफ स्थान पर गणेश जी को स्थापित करें। वही घर में ईशान कोण में शुभ मुहूर्त में बप्पा की स्थापना कर सकते हैं यह सुबह माना गया है, उसके बाद इन्हें दूर्वा, फूल और अक्षत अर्पित करें। उसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा का पाठ करें और आरती करें। इसके बाद अंत में गणपति को मोदक का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में इसको सभी को जरुर बांटे।