कहा जाता है कि, किस्मत और मेहनत एक दूसरे के पूरक होते है. यदि आप सही दिशा में ईमानदारी से मेहनत करते हैं तो, आप कामयाबी जरूर पाते हैं. आज कुछ ऐसी कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी जिंदगी के कई सालों तक लोगों के झूठे बर्तन धोने का काम किया है, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से आज जो मुकाम हासिल किया है, उसकी लोग सभी सराहना करते हुए देखे जा सकते है.
जयराम बानन Success Story (Jairam Banan Success Story in Hindi)
आज हम बात कर रहे हैं, जयराम बानन की जिनकी आज भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी लोग उनकी रेस्टोरेंट में खाना खा रहे हैं. प्लेट धोने से हुई शुरुआत, जिंदगी का सफर अब आलीशान ने इस तरह में बदल चुका है. सागर रत्ना (Sagar-Ratna) रेस्तरां के मालिक जयराम बानन की इस रेस्तरां चेन किसी पहचान का मोहताज नहीं है.
बता दे की जयराम बानन के दिल्ली में ही इसके 30 रेस्तरां चल रहे हैं, जबकि पूरे उत्तर भारत में 60 जगहों पर सागर रत्ना के रेस्तरां खुले हुए हैं. इतना ही नहीं इनके रेस्तरां कनाडा, सिंगापुर और बैंकॉक में भी आपको सागर रत्ना के रेस्तरां मिल जाएंगे.
सालाना करीब 300 करोड़ की कमाई
इस तरह दुनियाभर में इस चेन के करीब 100 रेस्तरां चल रहे हैं और सालाना करीब 300 करोड़ की कमाई होती है. जयराम ने सागर रत्ना की सफलता को भुनाने के लिए साल 2001 में स्वागत रेस्तरां की फ्रेंचाइजी भी शुरू की. उनके सफल रेस्तरां की वजह से उन्हें ‘दोसा किंग ऑफ नॉर्थ’ का खिताब भी मिला.
शुरूआती सफर
जयराम बानन मंगलौर के पास स्थित ‘उडुपी’ के एक सामान्य परिवार के रहने वाले है, जयराम बानन के पिता ड्राइवर थे। जयराम के पिता का गुस्सैल स्वभाव के थे। वह अपने पिता से बहुत डरते थे, जब जयराम बानन स्कूल एग्जाम में फेल हो गए तो उन्हें लगा कि उनके पिता उनकी बहुत पिटाई करेंगे। इसलिए वह केवल 13 साल की उम्र में ही वह घर छोड़ कर भाग गए। घर से भागने से पहले उन्होंने अपने पिता की पॉकेट से कुछ पैसे निकाले और मंगलौर से मुंबई जाने वाली बस में सवार हो गए इसके बाद वह होटल में प्लेट धोने का काम करने लगे थे.
इस तरह की अपने काम की शुरुआत
होटल में कम के दोरान उन्हें कैफेटेरिया का मैनेजर बना दिया गया और पगार हो गई 200 रुपये कर दी, इसके बाद जयराम मुंबई छोड़ साल 1974 में दिल्ली पहुंच गए और बतौर कैंटीन मैनेजर काम करने लगे. इसके बाद पैसा बचा कर जयराम ने साल 1986 में सागर नाम से पहला रेस्तरां खोला. उनके इस रेस्तरां की पहले दिन की कमाई महज 408 रुपये थी, लेकिन आज उनकी करोड़ो की कमाई होती है।