रुचि कालरा की Success Story सुन हो जायेगे हेरान, 74 बार असफलता के बाद खड़ी की 52000 करोड़ की कम्पनी

सफलता पाने के लिए हर किसी को पहले अपने जीवन में कई बार असफल भी होना पड़ता है, उसके बाद ही उसे सफलता मिलती है. इसी तरह से आज हम आपको एक ऐसी ही सफलता की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमे एक लड़की ने 73 बार रिजेक्शन मिलने के बावजूद भी हार नहीं मानी और आज उन्होंने ₹52000 करोड रुपए का कारोबार खड़ा किया है.

रुचि कालरा की Success Story (Ruchi Kalra Success Story in Hindi)

आज हम बात करने वाले हैं आईआईटी गर्ल रुचि कालरा की उनके बिजनेस में एक समय किसी भी इन्वेस्टर ने पैसा नहीं लगाया था, लेकिन आज हर कोई उनकी कंपनी में पैसा लगाने के लिए खड़ा है आज यह महिला सभी युवा उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

आपको बता दे कि रुचि कालरा ऑक्सीजो’ (Oxyzo) नाम का स्टार्टअप चलाती है, जिसकी शुरुआत उन्होंने 2017 में की थी. इन्होंने कंपनियों के लिए 74 बार फंडिंग की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी है. लेकिन आज उनकी कंपनी काफी बड़ी हो चुकी है.

रुचि कालरा के बारे में (Ruchi Kalra Biography in Hindi)

38 वर्षीय रुचि का जन्म दिल्ली के पंजाबी परिवार में हुआ है, रुचि ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से MBA और आईआईटी दिल्ली बीटेक किया है।

Unicorn Founder Ruchi Kalra Success Story in Hindi
Unicorn Founder Ruchi Kalra Success Story in Hindi

रुचि कालरा शुरू से ही लीडरशिप क्वालिटी रही है उन्होंने अपने साथी 42 वर्षीय आशीष मूलरूप से ओडिशा के रहने वाले हैं, उनके साथ एक कम्पनी की शुरुआत की, ओडिशा के कटक में जन्में आशीष की शुरुआती पढ़ाई एससीबी मेडिकल पब्लिक स्कूल से हुई। आशीष ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए और आईआईटी खड़गपुर बीटेक किया.

इस तरह की कंपनी की शुरुआत

साल 2016 में रुचि कालरा और आशीष ने कुछ लोगों के साथ मिलकर अपने पहले स्टार्टअप ऑफबिज़नेस की शुरुआत की थी, इसके बाद 2017 में ऑफबिज़नेस की एक ब्रांच के रूप में इन दोनों ने Oxyzo की शुरुआत की, ऑक्सीजन और ओज़ोन शब्दों को मिलाकर ऑक्सिज़ो बना। यह स्टार्टअप SMEs को फाइनेंस की सुविधा प्रदान करता है। रुचि ऑफबिज़नेस के साथ-साथ ऑक्सिज़ो की भी CFO हैं।

इस तरह मिली फंडिंग

जब इन्होने अपनी कम्पनी की शुरुआत की थी, उस समय फंडिंग लेने के लिए इन्होने काफी प्रयास किया तब उन्हें एक नहीं दो नहीं पूरे 74 बार लोगो द्वारा नकारा गया। शुरुआत में इन्वेस्टर्स इन स्टार्टअप्स को प्रॉफिट वाले बिज़नेस नहीं मानते थे, ऐसे में इन्होने हार नहीं मानी और बाद में इन्हें कई लोगो से अच्छी फंडिंग मिली, जिसके कारण आज ये दोनों स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न बन चुके हैं और आज इनकी कम्पनी 52 हजार करोड़ की कम्पनी बन चुकी है।