जानिये चंपारण मीट की पीछे की कहानी आखिर कोन है इसका असली मालिक? केसे बनी आज करोड़ो की कम्पनी

Gopal Kushwaha Success Story Of Champaran Meat in Hindi: अगर आप नॉनवेज खाते हैं और नॉनवेज का शौक रखते हैं तो अपने चंपारण मीट (Success Story Of Champaran Meat) का नाम एक बार तो जरुर सुना होगा और कभी ना कभी सिखाया भी होगा, लेकिन इन असली कौन है इसका पहचान कर पाना कभी मुश्किल है. आज हम आपको बता दे की, असली चंपारण मीट वाले गोपाल कुमार कुशवाहा है, जिनके ब्रांड का नाम आज देश विदेश तक फैला हुआ है.

चंपारण मीट (Gopal Kushwaha Success Story Of Champaran Meat in Hindi)

बिहार के रहने वाले गोपाल को बिहार नेपाल बॉर्डर पर मटन बनते देखा आइडिया आया था और समय इसके बाद उन्होंने इसमें कुछ परिवर्तन किया और लोगों के सामने नए तरीके से हांडी में मटन बनाया, जिसे इन्होंने अहुना मटन नाम दिया. गोपाल कुशवाहा का यह प्रयोग का काफी सफल साबित हुआ और इसे लोगों का काफी प्यार भी मिला, इसके बाद इन्होंने अपने इस बिजनेस को बढ़ा दिया और धीरे-धीरे पूरे बिहार के साथ-साथ हाथ देश के कई हिस्सों में फैल चुका है.

गोपाल कृष्ण द्वारा बताया गया है कि उन्होंने उनके नाम का ट्रेडमार्क का करवा लिया है और रजिस्ट्रेशन करवाया है, लेकिन उसके बावजूद भी इस नाम से काफी जगह पर मीट भेजते हुए नजर आ जाएगा. इसे लेकर मामला कोर्ट में भी एक कई लोगों पर इस समय कैसे भी चल रहा है. चूँकि इनका मटन पूरे बिहार में फेमस हो गया था और बिहार से निकलकर देश के कई राज्यों में फैला था ऐसे में इसके नाम का काफी उपयोग भी हुआ है.

Gopal Kushwaha Founder of Champaran Meat Success Story in Hindi
Gopal Kushwaha Of Champaran Meat Success Story

रेलवे की नौकरी छोड़ शुरू किया काम (Champaran Meat Founder Gopal Kushwaha Success Story in Hindi)

गोपाल कृष्ण पहले जिन रेलवे में नौकरी करते थे वही टीटी के साथ रहते थे एक बार उन्होंने देखा कि लेकिन उन्हें यह नौकरी ज्यादा पसंद नहीं आई और उन्हें नौकरी छोड़ दी और 2013 में केटरिंग का काम शुरू कर दिया.

20 हजार से 1 करोड़ तक का सफर (Founder of Champaran Meat Gopal Kushwaha Success Story in Hindi)

आपको बता दे की, इनके ओल्ड चंपारण मीट हाउस की शुरुआत गोपाल कुशवाहा ने करीब 20-25 हजार रुपये में की थी। उस समय इनके पास करीब 3 से 4 लोग ही काम करते थे, इसके बाद साल 2016 में इन्होंने कंपनी बनाई और ब्रांड रजिस्टर कराया। साथ ही ट्रेड मार्क के लिए अप्लाई किया जो बाद में उन्हें मिल गया। आज इनकी टीम में 10 से 15 लोग हैं और सालाना टर्नओवर करीब एक करोड़ रुपये तक जाता है।