Founder of Dhanya Dhenu Hariom Nautiyal Success Story in Hindi: आज हम आपको कैसे लड़के के बारे में बताने वाले हैं, जिसे शहर की अच्छी नौकरी छोड़कर गांव लौटने का फैसला किया, लेकिन उसके बाद लोग उसे काफी बेवकूफ समझने लगे थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज अपने दम पर 2 करोड रुपए सालाना का व्यवसाय शुरू कर दिया है.
आज हम बात करने वाले हैं, हरिओम नोटियाल की, हरिओम नौटियाल देहरादून से ताल्लुक रखते हैं और उनके वेंचर का नाम “धन्य धेनू” है. आज उनका यह देरी व्यवसाय 500 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है, साथ ही आज उनकी कमाई करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है.
हरिओम नौटियाल की सफलता की कहानी (Hariom Nautiyal Success Story in Hindi)
एक समय हरिओम शहर की नौकरी छोड़कर अपने गांव वापस चले गए थे और काफी आलोचनाओं का भी सामना किया, लेकिन उसके बाद उन्होंने खुद का व्यवसाय शुरू करने के बारे में सोचा, हताश हरिओम ने अपने घर के पास एक गौशाला बनवाइ जहां पर वह अपनी गाय और उसके बछड़े के साथ समय बिताने में ही उसे सुकून मिलता था.
यही से उसने डेयरी फार्मिंग का भी विचार सोच और गांव वालों ने उसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. लेकिन उसने हार नहीं मानी, एक समय उसने सिर्फ 10 गायों के साथ में अपने बिजनेस की शुरुआत की थी, उसे शुरुआत में काफी ज्यादा मुश्किलें हुई दूध ज्यादा होता और खरीदार कोई नहीं मिलता था.
एक समय फ्री में दिया दूध / Hariom Nautiyal Accomplishment Story
ऐसे में कई बार तो उन्हें मुफ्त में भी दूध देना पड़ता था, ऐसे में वह सिर्फ काफी कम पैसा कमाने लगे थे.
हरिओम अपने काम में लग रहे और धीरे-धीरे उसने स्थाई महिलाओं को डेरी और किसानों का समर्थन मिलने लगा, उसके बाद 2016 तक उन्होंने एक दूध संग्रह केंद्र स्थापित कर लिया सरकारी सब्सिडी मिलने के बाद उन्होंने अनुसूचित जाति की महिलाओं और विधवाओं को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया.
Hariom Nautiyal Achievement Story
यहां पर हरिओम ने दूध की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया और आज हरिओम देहरादून और ऋषिकेश में रोजाना 250 लीटर दूध बेचते हैं, उनके वेंचर का नाम “धन्य धुन” है ऋषिकेश के रहने वाले ग्राहक पिछले 9 सालों से हरिओम से ही दूध खरीद रहे हैं और उन्हें ताजा और शुद्ध दूध भी मिलते हुए देखा जा सकता है.
आज 2 करोड रुपए सालाना की कमाई / Hariom Nautiyal Successful Outcome Story
आज आपने इस बिजनेस से हरिओम दूध बेचने के अलावा वह दूध से बनी हुई रबड़ी, फालूदा, आइसक्रीम, मावा आदि भी बनाते हैं और स्थानीय बाजारों में बेचते हुए देखे जा सकते हैं. उनका व्यवसाय अब 2 करोड रुपए सालाना तक का हो चुका है हरिओम की सफलता जिनके समुदाय को ही बदल दिया है और वह अब 15 गांव के 500 लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं और उनसे अपने इस व्यापार को चलते हुए देखे जा रहे है।