Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Vrat Date, Time, Puja Vidhi, Shubh Mahurat, Mahatva, Mantra, Katha, Benifits, Importance and Significance in Hindi: भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा अर्चना के लिए सबसे पवित्र दिन चतुर्थी तिथि को माना गया है. हर मांह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को इसका व्रत किया जाता है, वही पंचांग के अनुसार भाद्र पक्ष की शुरुआत 20 अगस्त से हुई है, वहीं इसका समापन 18 सितंबर को होने वाला है. इस दौरान भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष में हेराम व संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है.
हेरम्ब संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत (Heramba Sankashti Chaturthi 2024)
भद्र पक्षी की हेरम्ब संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत का प्रारंभ 22 अगस्त 2024 को होगा वहीं दोपहर 1:46 पर इसकी शुरुआत होगी और इसकी तिथि का समापन 23 अगस्त है 2024 को सुबह 10:38 पर होगा, ऐसे में भाद्रपद माह की हेरंभ संकष्टी चतुर्थी का व्रत गुरुवार 22 अगस्त को मनाया जाएगा।
गणेश चतुर्थी 2024 की तारीख और शुभ मुहूर्त / Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Tithi and Shubh Muhurat
What is the Date of Heramba Sankashti Chaturthi: पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर होने वाली है, वही अगले दिन यानीकी 07 सितंबर को संध्याकाल 05 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी।
ऐसे में 07 सितंबर को गणेश चतुर्थी बेहद उत्साह के साथ मनाई जाएगी, इस तरह से आप भी इस तिथि को देखकर इस व्रत को रख सकते है.
पूजन विधि / Pooja Archana Vidhi and Samagri
यदि आप हेरम्ब संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत का उपवास करते हैं और उसे दिन पूजा अर्चना करना चाहते हैं तो, हम आपको इसकी पूजन विधि के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. चतुर्थी के दिन आप सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें, उसके बाद आप इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करें. यह कपड़े पहनना काफी शुभ माना गया है. वह मंदिर की सफाई कर चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा को भी विराजमान कर सकते हैं.
सुख समृद्धि की वृद्धि की काम करे / Advantages and Mahatva
इसके पश्चात फल, फूल, धूप समेत आदि चीज आप अर्पित करें और घी का दीपक जलाकर भगवान गणेश की आरती करें और मंत्रो का जाप करें, प्रभु से सुख समृद्धि की वृद्धि की कामना करते हुए उन्हें फल मिठाई और मोदक का भोग लगाया अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें, साथ ही मनवंचित फल की प्राप्ती के लिए कामना करे।