गुरवार के दिन करे लक्ष्मीनारायण की पूजा अर्चना जल्द होगी मनोकामना की पूर्ति, देखे पूजा करने की सही विधि और लक्ष्मीनारायण की आरती

Lakshmi Narayan Ji Ki Aarti in Hindi: हिंदू धर्म के मुताबिक गुरुवार का दिन काफी शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है, जिन्हें लक्ष्मी नारायण भी कहा जाता है. साथ ही उनके नियमित गुरुवार का व्रत भी रखा जाता है. इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के वृद्धि के लिए करते हुए देखी जाती है.

गुरवार को करे लक्ष्मीनारायण की पूजा अर्चना (Lakshmi Narayan Ji Ki Aarti Puja Thursday ko)

यदि आप गुरवार के दिन व्रत रखकर पूजा अर्चना करते हैं तो, भगवान की आप पर विशेष कृपा बनी रहती है. ज्योतिषों की मान्य तो कुंडली में गुरु मजबूत होने से अभिभायत लड़कियों की शीघ्र शादी होती है, इसके साथ ही मनचाहा जीवन शांति भी उन्हें मिलता है.

इस तरह से करे इस दिन पूजा (Which Day is for Lakshmi Narayan Ji Ki Puja in Hindi)

यदि आप गुरुवार का व्रत रखते हैं तो, इसके लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं. इस समय आप केले के पौधे को जल से अर्घ देना भी काफी शुभ माना गया है, इसके साथ ही अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा की भागी बनना चाहते हैं तो गुरुवार के दिन उनकी श्रद्धा भक्ति से पूजा अर्चना करें.

 

Lakshmi Narayan Ji Ki Aarti in Hindi
Lakshmi Narayan Ji Ki Aarti in Hindi

पीले रंग के वस्त्र पहने (Yellow Colour Dress to Wear in Lakshmi Narayan Ji Ki Aarti)

इस दिन आप पीले रंग के वस्त्र भी पहन सकते हैं, इसके साथ ही पीले फूल पहन कर केसर गुड और चने की दाल आदि अर्पित कर पूजा अर्चना करें. इससे आपको काफी जल्द शुभ फल की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल काफी ज्यादा पसंद है. पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्रो का जाप करे, इसके साथ ही पूजा के अंत में लक्ष्मी नारायण की आरती जरूर करे.

लक्ष्मी नारायण की आरती (Lakshmi Narayan ki Aarti in Hindi)

जय लक्ष्मी-विष्णो।

जय लक्ष्मीनारायण, जय लक्ष्मी-विष्णो।

जय माधव, जय श्रीपति, जय, जय, जय विष्णो॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

जय चम्पा सम-वर्णेजय नीरदकान्ते।

जय मन्द स्मित-शोभेजय अदभुत शान्ते॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

कमल वराभय-हस्तेशङ्खादिकधारिन्।

जय कमलालयवासिनिगरुडासनचारिन्॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

सच्चिन्मयकरचरणेसच्चिन्मयमूर्ते।

दिव्यानन्द-विलासिनिजय सुखमयमूर्ते॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम त्रिभुवन की माता,तुम सबके त्राता।

तुम लोक-त्रय-जननी,तुम सबके धाता॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम धन जन सुखसन्तित जय देनेवाली।

परमानन्द बिधातातुम हो वनमाली॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम हो सुमति घरों में,तुम सबके स्वामी।

चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

शरणागत हूँ मुझ परकृपा करो माता।

जय लक्ष्मी-नारायणनव-मन्गल दाता॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…