Mahila Naga Sadhu Kaise Hoti Hai, क्या आप जानते हैं की, पुरुष नागा साधू की तरह महिला नागा साधु भी होती है और यह भी उनकी तरह रहती है और इन्हें भी काफी कड़ी तपस्या से गुजरना होता है. महिला नागा साधु बनने के लिए आज कई तरह की मेहनत भी करना होती है, उसके बाद ही कोई महिला साधु बन सकती है. आज हम आपको महिला साधु के जीवन से जुड़ी हुई कुछ ऐसे ही सच्चाइयों को बताने वाले हैं, जिन्हें सुनकर आप ही हैरान रह जाएंगे.
महिला नागा साधु केसे बनती है (Mahila Naga Sadhu Kaise Banti Hai)
पुरुषों की तरह महिला नागा साधु निर्वस्त्र नहीं रहती है, लेकिन बता दे कि, वह गर्व रंग का एक वस्त्र धारण करती है जो, बिना सिला हुआ होता है. महिला नागा साधुओं को एक ही वस्त्र पहनने की अनुमति दी जाती है, साथ ही उन्हें जनेऊ धारण करनी होती है और साथ ही वह तिलक भी लगाती है.
तपस्या और साधना से गुजरना होता है / Mahila Naga Sadhu Kaise Itihas
यदि कोई महिला नागा साधु बनती है तो, सबसे पहले उसे कठिन तपस्या और साधना से गुजरना होता है. यह साधू गुफा जंगल पहाड़ों आदि में रहकर साधना करती है और भगवान की भक्ति में लेने रहती है. उसके बाद ही वह अपने गुरुओं के पास आती है,
महिला नागा साधु बनने से पहले परीक्षा के तौर पर 6 से 12 साल तक सख्त ब्रह्मचारी का पालन भी करना होता है, इसके बाद ही गुरु उसे नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं.
सर मुंडवाना पड़ता है / Mahila Naga Sadhu Pic
महिला साधू नागा साधुओं को दीक्षा लेने से पहले अपना सर भी मुंडवाना पड़ता है, उसमें बहुत दर्द झेलना पड़ता है. दुनिया से दूर रहकर तप करना और हर पहलू पर उन्हें आंका जाता है, उसके बाद ही वह दीक्षा ग्रहण कर पाती है जो भी, महिला इस कठिन रास्ते पर चल पाएगी वही आगे चलकर नागा साधु बनती है.
अपना पिंडदान भी करना होता है / Mahila Naga Sadhu Rashya
महिला नागा साधु बनने से पहले महिला संन्यासिनी को सारे सांसारिक बंधन तोड़ने पड़ते है. इसके लिए उसे जीते जी अपना पिंडदान तक करना पड़ता है. यानी कि उसने जो जिंदगी बिताई है वो उसे खत्म करके नए जीवन में प्रवेश कर रही है. हिंदू धर्म में पिंडदान मरने के बाद उसके परिवारजन ही करते हैं.